दोहे (अमीर खुसरो)
खुसरो रैन सुहाग की, जागी पी के संग
तन मेरो मन पियो को, दोउ भए एक रंग
खुसरो दरिया प्रेम का, उल्टी वा की धार
जो उतरा सो डूब गया, जो डूबा सो पार
खीर पकायी जतन से, चरखा दिया जला
आया कुत्ता खा गया, तू बैठी ढोल बजा
गोरी सोवे सेज पर, मुख पर डारे केस
चल खुसरो घर आपने, सांझ भयी चहु देस
खुसरो मौला के रुठते, पीर के सरने जाय
कहे खुसरो पीर के रुठते, मौला नहिं होत सहाय.
ये भी पढ़ें – Valentine Day Shayari: ‘वो ख़ुद गुलाब था उसको गुलाब क्या देता’
प्रेम (रामधारी सिंह ‘दिनकर’)
प्रेम की आकुलता का भेद
छिपा रहता भीतर मन में,
काम तब भी अपना मधु वेद
सदा अंकित करता तन में
सुन रहे हो प्रिय?
तुम्हें मैं प्यार करती हूं
और जब नारी किसी नर से कहे
प्रिय! तुम्हें मैं प्यार करती हूं
तो उचित है, नर इसे सुन ले ठहर कर
प्रेम करने को भले ही वह न ठहरे
ये भी पढ़ें – Valentine Day 2021: इस वैलेंटाइन डे को और बनाएं खास, इन चुनिंदा प्रेम कविताओं के साथ
मंत्र तुमने कौन यह मारा
कि मेरा हर कदम बेहोश है सुख से?
नाचती है रक्त की धारा
वचन कोई निकलता ही नहीं मुख से
पुरुष का प्रेम तब उद्दाम होता है
प्रिया जब अंक में होती
त्रिया का प्रेम स्थिर अविराम होता है
सदा बढता प्रतीक्षा में.